आप जानते हैं सांड और बैल में क्या फर्क है?

सांड व बैल दोनों नो ही नर गोवंश हैं।


अधिकतर नरों को बधिया (नपुंसक) कर दिया जाता है यानि उनकी पौरुष ग्रंथियों को निष्क्रिय कर दिया जाता है। यह संभवतः उनके पूर्ण वयस्क हो जाने से कुछ महीने पहले किया जाता है। इससे उनकी आक्रामकता समाप्त हो जाती है।


उसके बाद उन्हे बैलगाड़ी व हल खींचने हेतु प्रशिक्षित किया जाता है, ऐसा करने पर वे नर "बैल" कहलाते हैं।


जबकि "सांड" वे अच्छे व स्वस्थ नर होते हैं, जिन्हें प्रजनन के लिए सामान्य रूप से वयस्क होने दिया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों मे वे स्वतंत्रता से सारे क्षेत्र में विचरण करते हैं व गायों से संभोग कर गर्भवती बनाते हैं।


इस कार्य में धार्मिकता का पुट देने के लिए उनके शरीर पर त्रिशूल व ऊँ का चिह्न अंकित कर दिया जाता है, ताकि उन्हें कोई नुकसान न पहुंचाए।


सांड के कंधे पर की गूमड़ काफी बड़ी होती है, जबकि बैल की काफी छोटी। नीचे के चित्रों मे फर्क देखिए।


सांड



बैल